कुछ डायरेक्ट सेलिंग कंपनियां
हवाई जहाज को समुंदर में उतारना चाहती है और पानी जहाज को सड़क पे दौड़ाना ।
आज के इस दौर में बड़े बड़े मैन्युफैक्चरर एवं ट्रेडर खुद को बाजार में स्थापित करने हेतु नेटवर्क मार्केटिंग का सहारा ले रही है । हर दिन, हर सप्ताह कोई न कोई बड़ी कंपनी अपने ब्रांड को बाजार में उतार रही है । अपने अपने उधार के कारोबार को कैश काऊ में बदलना चाहती है और इसके लिए खुलकर खर्च भी कर रही है -
◆◆कंपनी का प्रोफाइल दिखाने में, और बताने में जोर देती है, और लोगों का विश्वाश भी फोकस भी इसी दिशा में कायम करने का पुरजोर कोशिश भी ।
◆◆खुद का मैन्युफैक्चरिंग यूनिट होने का भ्रम फैलाती है, और माल सस्ते दामों पे उपलब्ध कराने का दावा भी ।
◆◆बढियां आफिस, बढियां फर्नीचर, बढियां पैकिंग एवं ब्रांडिंग भी करने का प्रयाश करती है ।
◆◆बाजार से कुछ बिकाऊ जमीरहीन सेटवर्कर्स टाइप के लोगों को खरीदकर जोर शोर से कारोबार फैलाने का प्रयाश भी करती है ।
◆◆लोगों को गुमराह करने के लिए ट्रेनिंग के नाम पे कुछ प्रोडक्ट्स ट्रेनर को भी सैलरी पे रख लेते है ।
◆◆कुछ कंपनियां तो 5 स्टार कल्चर तक अपना लेती है, और बड़ी बड़ी सेमिनार मीटिंग्स पे मोटा पैसा भी खर्च कर देती है ।
इतना कुछ होने के बाबजूद भी उनको रफ्तार नही मिल पाता जिसके उम्मीद में वो इस कारोबार में प्रवेश करते है, कुछ कंपनियां तो अपने ही चंद लीडर्स के गुलाम बन जाते है और उनके सलाह पे अपना व्यापार को दिशा देने में लगे रहते है ।
●कॉन्फ्लिक्टस - डायरेक्टर्स को नेटवर्क बनाना नही आता और नेटवरकरों को बिज़नेस बढ़ाना नही आता । पर दोनों एक दूसरे को गलत सलाह दे रहे होते है ।
●कॉन्फ्लिक्टस - डायरेक्टर्स का फोकस अपना सेल बढ़ाने में होता है, होना भी चाहिए और लीडरों का ध्यान खर्चे पानी पे न कि - दोनों के दोनों कॉन्फ्लिक्टस में जी रहे होते है और निर्णय लेने का क्षमता खो बैठे होते है -एक डर चल रहा होता है ।
●कॉन्फ्लिक्टस - नेटवर्क मार्केटिंग लोगों का बिज़नेस है, और ये लीडरशिप दक्षता पे चलता है, लोगों के व्यक्तिगत विकास पे आगे बढ़ता है, और मंथली पेआउट के ग्रोथ पे टिकता है ।
●जरा 15 साल 20 साल पिछे जाकर देखे, एक बड़ा बिज़नेस घराना इस बिज़नेस में आया और संघर्ष करता रहा, वहीं वहां से निकलकर एक कर्मचारी, सहयोगी, नेटवर्क बिल्डर एक जज्बे के साथ बिना प्रोफाइल का, बिना प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स का, बिना आफिस और दिखाबे का एक बिज़नेस का नींव रखा और भारत का नंबर एक होने का गौरब प्राप्त कर बैठा
●HUL हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसा कंपनी भी आया और आज भारत मे नेटवर्क मार्केटिंग में कोई नही जानता, वहीं पे पंजाब से एक कंपनी बिना किसी प्रोफाइल एवं प्रोडक्ट का देश का नाम बन जाता है ।
●हमारे यहां के जनता जिसे कुछ नही मालूम वो भी आपसे देमान करेगा फैक्ट्री विजिट कराओ, प्रोडक्ट्स का डिटेल्स भेजो, कहाँ कहाँ से सर्टिफाइड है बताओ चाहे उसके जेब मे धन आ रहा है या नही ।
●नेटवर्क मार्केटिंग एक विज्ञान है, ये लोगों का व्यापार है ना कि प्रोडक्ट्स का; ये सपने को उड़ान देने वालों को व्यापार है ना कि प्रोफाइल दिखाने का । ये व्यापार तो आपको प्रोफाइल बनाने का अवसर देता है और आप देखने के चक्कर मे चवन्नी भी नही कमा पाते ।
♂ये मर्द लोगों का बिज़नेस है, जिसे दर्द सहने के हिम्मत हो उसका बिज़नेस है, ना कि ROI के चक्कर मे बर्बाद होने का बिज़नेस है । आलसी और लालची प्रवृति के लोगों ने इस पवित्र और सुंदर बिज़नेस को बदनाम करके रखा है, और समाज मे लोगों का छवि भी खराब कर रखा है ।
♀इस बिज़नेस को भी सीखे बगैर आप कामयाब नही हो सकते, और न ही अपने सपने को उड़ान दे सकते है । जो कंपनियां आपको सीखने का मौका दे वही लंबी रेस का घोड़ा होगा, वही आपके सपने भी पूरे करेंगे।
हवाई जहाज को समुंदर में उतारना चाहती है और पानी जहाज को सड़क पे दौड़ाना ।
आज के इस दौर में बड़े बड़े मैन्युफैक्चरर एवं ट्रेडर खुद को बाजार में स्थापित करने हेतु नेटवर्क मार्केटिंग का सहारा ले रही है । हर दिन, हर सप्ताह कोई न कोई बड़ी कंपनी अपने ब्रांड को बाजार में उतार रही है । अपने अपने उधार के कारोबार को कैश काऊ में बदलना चाहती है और इसके लिए खुलकर खर्च भी कर रही है -
◆◆कंपनी का प्रोफाइल दिखाने में, और बताने में जोर देती है, और लोगों का विश्वाश भी फोकस भी इसी दिशा में कायम करने का पुरजोर कोशिश भी ।
◆◆खुद का मैन्युफैक्चरिंग यूनिट होने का भ्रम फैलाती है, और माल सस्ते दामों पे उपलब्ध कराने का दावा भी ।
◆◆बढियां आफिस, बढियां फर्नीचर, बढियां पैकिंग एवं ब्रांडिंग भी करने का प्रयाश करती है ।
◆◆बाजार से कुछ बिकाऊ जमीरहीन सेटवर्कर्स टाइप के लोगों को खरीदकर जोर शोर से कारोबार फैलाने का प्रयाश भी करती है ।
◆◆लोगों को गुमराह करने के लिए ट्रेनिंग के नाम पे कुछ प्रोडक्ट्स ट्रेनर को भी सैलरी पे रख लेते है ।
◆◆कुछ कंपनियां तो 5 स्टार कल्चर तक अपना लेती है, और बड़ी बड़ी सेमिनार मीटिंग्स पे मोटा पैसा भी खर्च कर देती है ।
इतना कुछ होने के बाबजूद भी उनको रफ्तार नही मिल पाता जिसके उम्मीद में वो इस कारोबार में प्रवेश करते है, कुछ कंपनियां तो अपने ही चंद लीडर्स के गुलाम बन जाते है और उनके सलाह पे अपना व्यापार को दिशा देने में लगे रहते है ।
●कॉन्फ्लिक्टस - डायरेक्टर्स को नेटवर्क बनाना नही आता और नेटवरकरों को बिज़नेस बढ़ाना नही आता । पर दोनों एक दूसरे को गलत सलाह दे रहे होते है ।
●कॉन्फ्लिक्टस - डायरेक्टर्स का फोकस अपना सेल बढ़ाने में होता है, होना भी चाहिए और लीडरों का ध्यान खर्चे पानी पे न कि - दोनों के दोनों कॉन्फ्लिक्टस में जी रहे होते है और निर्णय लेने का क्षमता खो बैठे होते है -एक डर चल रहा होता है ।
●कॉन्फ्लिक्टस - नेटवर्क मार्केटिंग लोगों का बिज़नेस है, और ये लीडरशिप दक्षता पे चलता है, लोगों के व्यक्तिगत विकास पे आगे बढ़ता है, और मंथली पेआउट के ग्रोथ पे टिकता है ।
●जरा 15 साल 20 साल पिछे जाकर देखे, एक बड़ा बिज़नेस घराना इस बिज़नेस में आया और संघर्ष करता रहा, वहीं वहां से निकलकर एक कर्मचारी, सहयोगी, नेटवर्क बिल्डर एक जज्बे के साथ बिना प्रोफाइल का, बिना प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स का, बिना आफिस और दिखाबे का एक बिज़नेस का नींव रखा और भारत का नंबर एक होने का गौरब प्राप्त कर बैठा
●HUL हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसा कंपनी भी आया और आज भारत मे नेटवर्क मार्केटिंग में कोई नही जानता, वहीं पे पंजाब से एक कंपनी बिना किसी प्रोफाइल एवं प्रोडक्ट का देश का नाम बन जाता है ।
●हमारे यहां के जनता जिसे कुछ नही मालूम वो भी आपसे देमान करेगा फैक्ट्री विजिट कराओ, प्रोडक्ट्स का डिटेल्स भेजो, कहाँ कहाँ से सर्टिफाइड है बताओ चाहे उसके जेब मे धन आ रहा है या नही ।
●नेटवर्क मार्केटिंग एक विज्ञान है, ये लोगों का व्यापार है ना कि प्रोडक्ट्स का; ये सपने को उड़ान देने वालों को व्यापार है ना कि प्रोफाइल दिखाने का । ये व्यापार तो आपको प्रोफाइल बनाने का अवसर देता है और आप देखने के चक्कर मे चवन्नी भी नही कमा पाते ।
♂ये मर्द लोगों का बिज़नेस है, जिसे दर्द सहने के हिम्मत हो उसका बिज़नेस है, ना कि ROI के चक्कर मे बर्बाद होने का बिज़नेस है । आलसी और लालची प्रवृति के लोगों ने इस पवित्र और सुंदर बिज़नेस को बदनाम करके रखा है, और समाज मे लोगों का छवि भी खराब कर रखा है ।
♀इस बिज़नेस को भी सीखे बगैर आप कामयाब नही हो सकते, और न ही अपने सपने को उड़ान दे सकते है । जो कंपनियां आपको सीखने का मौका दे वही लंबी रेस का घोड़ा होगा, वही आपके सपने भी पूरे करेंगे।